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द गर्ल इन रूम 105–२७

'तो अब हम क्या करें?"

'हम यहीं रुकेंगे और सच बताएंगे।'

'क्या सच? यह कि हमने एक बोतल व्हिस्की पी, फिर नशे की हालत में गाड़ी चलाई, फिर पुलिस वालों को गच्चा दे दिया, फिर फ़र्जी आईडी कार्ड दिखाकर यहां चले आए और पेड़ पर चढ़कर इस लड़की के रूम में घुस गए, वो भी इतनी रात गए? भाई, तुम्हारा दिमाग़ तो ठिकाने पर है ना?" 'हां, ये सब ग़लत चीजें हैं, लेकिन कम से कम ये मर्डर करना तो नहीं है। '

'मर्डर? तुम इस शब्द का इस्तेमाल भी कैसे कर सकते हो? हमने कुछ भी नहीं किया है।' "जानता हूं। और इसलिए हमें यह सबको बताना होगा। अब ये बताओ कि हम सबसे पहले किसे कॉल

करें?'

मैंने अपना फ़ोन निकाल लिया।

'आर यू श्योर भाई? क्योंकि आज के दिन तुमको कोई बहुत अच्छे आइडियाज़ नहीं आ रहे हैं।' 'अगर तुम जाना चाहते हो, सौरभ, तो जा सकते हो, मैंने कहा। सच में उसे इस सबका हिस्सा बनने की

ज़रूरत नहीं थी।

'मेरा वो मतलब नहीं था, भाई।'

'लेकिन मेरा यही मतलब था क्योंकि अब इस पर बखेड़ा तो होगा। इसका तुमसे कोई लेना-देना नहीं होना

चाहिए।' 'लेकिन क्या हमने दारू पार्टी के दौरान यह तय नहीं किया था कि हम जो भी करेंगे, साथ-साथ ही करेंगे? उसने कहा। मैंने उसकी तरफ़ देखा। कुछ मायनों में, एक बेहतरीन दोस्त का होना किसी प्रेमिका के होने से ज्यादा

ज़रूरी होता है।

'आई लव यू, मैन,' मैंने कहा।

'मी टू, भाई। तो तुम किसको कॉल करने जा रहे हो?" 'उसके पैरेंट्स, उसका बॉयफ्रेंड या पुलिस ये चॉइसेस हैं।'

'हम सीधे नीचे भी जा सकते हैं और वॉचमैन को सबकुछ बता सकते हैं। उसे ही सबको कॉल करने देते हैं।" उसने बात तो पते की कही थी।

'आइडिया बुरा नहीं है, लेकिन, मैं रुक गया।

‘लेकिन अगर हमने ख़ुद ही इन्हें कॉल नहीं किया तो वो हमें हमेशा शक की नज़र से देखेंगे। पहले हम उन्हें कॉल करते हैं और फिर वॉचमैन के पास जाते हैं।'

'लेकिन क्या?"

'मैंने अपनी जिंदगी में कभी पुलिस को कॉल नहीं किया, सौरभ ने कहा ।

'मैंने भी। लेकिन मैं पुलिस को सबसे बाद में फोन लगाऊंगा।'

'पैरेंट्स?"

"यह भी बहुत मुश्किल होगा। सबसे पहले मैं रघु को कॉल लगाता हूँ।" 'तुम्हारे पास उसका नंबर है?"

'हां'

उसने इससे पहले मुझे कभी-कभार कॉल किया था, यह कहने के लिए कि मुझे ज़ारा से दूर रहना चाहिए। मैंने उसका नंबर सेव कर लिया था, ताकि अगर ज़ारा मुझे कभी ब्लॉक कर दे तो उस तक पहुंचने का कोई रास्ता मेरे पास रहे। मैंने टाइम देखा। 3 बजकर 36 मिनट हो रहे थे। मैंने उसका नंबर डायल किया। फ़ोन की घंटी बजी। किसी ने फ़ोन नहीं उठाया। सबसे अंत में मुझे तेलगु में एक सर्विस मैसेज सुनाई दिया, जो शायद यह कह रहा था कि इस व्यक्ति तक पहुंच पाना संभव नहीं हो सकेगा। मैंने फिर कोशिश की और इस बार भी कोई रिस्पॉन्स नहीं

मिला।

'लगता है वो सो रहा है, ' मैंने कहा। 'उसके डैड को फ़ोन लगाओ,' सौरभ ने कहा।

मैंने सफ़दर लोन का नंबर डायल किया। मैं सोच रहा था कि मैं उन्हें क्या कहूंगा। हाय अंकल, आपको

डिस्टर्ब करने के लिए सॉरी। मैं केशव बोल रहा हूँ। आपको याद है, आपने मुझसे कहा था कि मैं आपकी बेटी से दूर रहूं? वेल, अभी मैं उसके रूम में हूं। और, बाय द वे, वो मर चुकी हैं।

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